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Kutton ne kata: देश में 6 माह के अंदर कुत्तों ने 14 लाख लोगों को बनाया निशाना, इस राज्य में सबसे ज्यादा केस

Kutton ne kata: देश में कुत्तों के काटने के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है। बता दें कि इस साल 22 जुलाई तक देश में कुत्ता काटने के 14 लाख 50 हजार 666 मामले सामने आए हैं। इसमें सबसे ज्यादा कुत्ता काटने के मामले तमिलनाडु में 2 लाख 51 हजार 510 सामने आए हैं। तमिलनाडु के बाद महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा कुत्तों के काटने के मामले दर्ज किए गए हैं। महाराष्ट्र में 2 लाख 31 हजार 531 लोगों को कुत्तों ने काटा है। वहीं आंध्र प्रदेश में 1 लाख 15 हजार 241 और पश्चिम बंगाल में 1 लाख 33 हजार 653 मामले कुत्ते के काटने के सामने आए हैं। इस लिस्ट में सबसे कम 205 मामले अंडमान निकोबार में मिले हैं। जबकि लक्षद्वीप का कोई आंकड़ा नहीं दिया गया है।

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मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरशोत्तम रूपाला ने संसद ने में बताया कि देश में कुत्ता काटने के मामलों को देखते हुए सरकार नेशनल रैबीज कंट्रोल प्रोग्राम चला रही है। देश में कुत्ता काटने के अलावा आवरा पशु भी बड़ी दिक्कत बनते जा रहे हैं। लोकसभा में 2019 से लेकर 2022 तक के आकडें पेश किए गए, जिसमें बताया गया कि इन चार सालों में करीब डेढ़ करोड़ लोगों को आवारा पशुओं ने काट लिया। इन चार सालों में 2019 में आवारा जानवरों के काटने के मामले सबसे अधिक सामने आए हैं। 2019 में सबसे अधिक 72 लाख से अधिक लोगों को आवारा जानवरों ने अपना शिकार बनाया। (Kutton ne kata)

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गौरतलब है कि साल 2020 में आवारा जानवरों के काटने के 46 लाख, 2021 में 17 लाख और 2022, जुलाई तक 14 लाख लोगों को आवारा जानवरों ने काट लिया था। साल 2022 में आवारा पशुओं के काटने के सबसे अधिक मामले तमिलनाडु से सामने आए हैं, जहां पर करीब ढाई लाख लोगों को आवारा जानवरों ने काट लिया। वहीं 2022 में पश्चिम बंगाल में 13 लाख 3 हजार 653, महाराष्ट्र में 2 लाख 31 हजार 531, अरुणाचल प्रदेश में 1 लाख 15 हजार 241, कर्नाटक में 95 हजार 352 मामले सामने आए थे। 2019 में बिहार में 3 लाख 28 हजार 96, गुजरात में 4 लाख 8 हजार 424, कर्नाटक में 31 लाख 2 हजार 216, महाराष्ट्र में 62 लाख 5 हजार 193, तमिलनाडु में 8 लाख 36 हजार 329 और राजस्थान में 45 हजार 558 मामले सामने आए थे। (Kutton ne kata)

परामर्श के अनुसार समय पर पूर्ण टीकाकरण जरूरी

घर में पालतू कुत्तों को एंटी-रेबीज का टीका जरूर लगवाएं। अगर किसी घाव पर गलती से कुत्ते की लार गिर जाती है तो उससे भी रेबीज हो जाता है। जानवरों के द्वारा चाटने, नाखून मारने या काटने के घाव को अनदेखा न करें। एक बार मरीज रेबीज की चपेट में आ गया तो उसका कोई इलाज नहीं हैं। हालांकि उपचार के माध्यम से मरीज को कुछ राहत प्रदान की जा सकती है। समय पर उपचार लेने के लिए तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर के परामर्श के अनुसार समय पर पूर्ण टीकाकरण कराना चाहिए।

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