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Maharashtra Political Crisis:महाराष्ट्र में सियासी संकट जारी, SC ने कहा अपने खिलाफ प्रस्ताव में डिप्टी स्पीकर कैसे जज बने

Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में सियासी संकट जारी है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट में शिंदे गुट की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें डिप्टी स्पीकर की भूमिका पर ही सवाल खड़े हो गए हैं। दरअसल, एकनाथ शिंदे गुट की ओर से 15 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के नोटिस के खिलाफ दायर अर्जी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर के रोल पर सख्त टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि अगर बागी विधायकों ने उनके ही खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था तो कैसे उन्हें नोटिस जारी किया गया। जस्टिस सूर्यकांत ने सवाल किया कि अपने खिलाफ दायर अर्जी पर कैसे डिप्टी स्पीकर खुद ही जज बन गए। इस पर डिप्टी स्पीकर की ओर से पेश वकील राजीव धवन ने कहा कि उनके खिलाफ जो नोटिस आया था, वो अनवेरिफाइड ईमेल से भेजा गया था।

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वहीं मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर की ओर से पेश वकील राजीव धवन से सवाल किया कि अगर विधायकों की ओर से नोटिस मिला था तो फिर उसे खारिज क्यों किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अपने खिलाफ मामले में उन्होंने कैसे खुद ही सुनवाई की और खुद ही जज बन गए। इसके साथ ही अदालत ने डिप्टी स्पीकर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस, शिवसेना विधायक दल के नए नेता अजय चौधरी और चीफ व्हिप बनाए गए सुनील प्रभु को भी नोटिस जारी किया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया है और पूछा है कि ऐसे मामलों में आखिर संसद के नियम क्या कहते हैं। (Maharashtra Political Crisis)

कोर्ट ने सभी पक्षों से 5 दिनों के अंदर नोटिस का जवाब मांगा है। यही नहीं इन पक्षों की ओर से नोटिस का जवाब मिलने के बाद एकनाथ शिंदे गुट को आदेश दिया गया है कि वे तीन दिन के अंदर इस पर प्रत्युत्तर दें। यही नहीं अदालत ने कहा है कि अब अगली सुनवाई 11 जुलाई को गर्मी की छुट्टियों के बाद होगी। केस की सुनवाई के दौरान एकनाथ शिंदे गुट के वकील ने कहा कि पार्टी के ज्यादातर विधायक तो गुवाहाटी में ही हैं। ऐसे में कैसे उन्हें अयोग्य ठहराने के लिए डिप्टी स्पीकर ने नोटिस जारी कर दिया। केस की सुनवाई के दौरान अरुणाचल प्रदेश के मामले का भी जिक्र हुआ। वकील ने कहा कि स्पीकर ने जब भी अपने अधिकारों का अतिक्रमण किया, उस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश दिया है। (Maharashtra Political Crisis)

एकनाथ शिंदे गुट ने कहा कि पहले तो डिप्टी स्पीकर की स्थिति पर ही फैसला होना चाहिए। उसके बाद ही उनकी ओर से की गई किसी कार्यवाही पर बात की जा सकती है। इधर, गुवाहाटी में बैठे शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से रक्षा कवच मिल गया है। अदालत ने सोमवार को सुनवाई के दौरान बागी गुट के 15 विधायकों को अयोग्य ठहराने के नोटिस पर 12 जुलाई तक के लिए रोक लगा दी है। इसके अलावा अविश्वास प्रस्ताव को लेकर भी कोई आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। साफ है कि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। इसके अलावा शिंदे गुट के विधायकों की सदस्यता 11 जुलाई तक अक्षुण्ण रहेगी और उनका मत विश्वास मत की स्थिति में मायने रखेगा। साफ है कि एकनाथ शिंदे गुट को अगले 15 दिनों के लिए बड़ा रक्षा कवच मिल गया है।

अगर महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होता है तो ये विधायक अघाड़ी का खेल बिगाड़ सकते हैं। इस तरह सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई से जो परिणाम निकला है, उसे उद्धव ठाकरे के लिए मायूसी भरा कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा। यही नहीं एकनाथ शिंदे गुट जमीन पर भी पकड़ बनाने की कोशिश कर रहा है। जबकि संजय राउत लगातार उन्हें गुवाहाटी छोड़ चौपाटी आने की चुनौती दे रहे हैं। एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत ने आज ही ठाणे में एक रैली भी की है। इस दौरान शिंदे के समर्थक पहुंचे और संजय राउत का पुतला तक फूंका दिया। बता दें कि ठाणे को एकनाथ शिंदे का गढ़ माना जाता है। (Maharashtra Political Crisis)

शिंदे के बेटे ने ये रैली अपने घर के पास नहीं की बल्कि ठाणे में शिवसेना के दफ्तर के पास ही की। हालांकि ये रैली बहुत बड़ी नहीं रही, जितना कि दावा किया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 200 लोग ही यहां पहुंचे, लेकिन एक संदेश जरूर देने का प्रयास किया गया। इस रैली के दौरान श्रीकांत शिंदे ने कहा कि ‘संजय राउत की बातें हमारे लिए मायने नहीं रखती हैं। वह हमेशा फिल्मी कहानियां बनाते रहते हैं। हम यहां आनंद दीघे को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे हैं और हमें पूरे ठाणे जिले का समर्थन हासिल है।’ SC में सुनवाई के बाद शिंदे गुट के लिए दिन राहत भरा रहा।

वहीं कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट को लेकर कोई अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया है। साथ ही कहा कि इससे गैरजरूरी दिक्कतें आएंगी। सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट से सवाल किया कि आप पहले हाईकोर्ट क्यों नहीं गए। हमारे पास क्यों आ गए? इस पर शिंदे गुट की ओर से एडवोकेट नीरज किशन कौल ने कहा कि हमारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। हमें धमकाया जा रहा है और हमारे अधिकारों का हनन हो रहा है। ऐसे में हम आर्टिकल 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं। सबसे जरूरी मुद्दा ये है कि स्पीकर या डिप्टी स्पीकर तब तक कुर्सी पर नहीं बैठ सकते हैं, जब तक उनकी खुद की स्थिति स्पष्ट नहीं है। डिप्टी स्पीकर ने इस मामले में बेवजह की जल्दबाजी दिखाई। स्वाभाविक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं किया गया। जब स्पीकर की पोजिशन पर सवाल उठ रहा हो तो एक नोटिस के तहत उन्हें हटाया जाना तब तक न्यायपूर्ण और सही लगता, जब तक वे स्पीकर के तौर पर अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने के लिए बहुमत न साबित कर दें। जब स्पीकर को अपने बहुमत पर भरोसा है तो वे फ्लोर टेस्ट से डर क्यों रहे हैं।

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