मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री भारत रत्न पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन बालदिवस के अवसर पर आज राजधानी रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया ।
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मुख्यमंत्री बघेल ने राष्ट्रीय शिक्षा समागम के उद्घाटन से पहले छत्तीसगढ़ के स्कूलों में शिक्षा को लेकर किए गए नवाचार प्रयोगों पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंने स्कूलों में अपनाए गए नवाचारों की सराहना करते हुए कहा कि समागम में विभिन्न राज्यों से आये प्रतिनिधियों और शिक्षाविदों से छत्तीसगढ़ को भी काफी कुछ सीखने का अवसर मिलेगा ।
कोविड-19 लॉक डाउन के दौरान अपनाए गए नवाचारी प्रयासों के बारे में जानकारी देते हुए धनेली प्राथमिक शाला की शिक्षिका श्रीमती तस्कीन खान ने बताया कि कोरोना संकट के दौरान बच्चों को शिक्षा से जोड़े रहने के लिए स्कूल के बच्चों के द्वारा विभिन्न रोचक खेलों का निर्माण किया गया है । जिसमें रंगों की दुनिया, कोसा कीट का जीवन चक्र, स्पेलिंग सीखना, व्याकरण की जानकारी जैसे विभिन्न छोटे-छोटे प्रोजेक्ट शामिल हैं । इस दौरान स्कूली छात्राओं के आग्रह पर मुख्यमंत्री श्री बघेल ने ‘रंगों की दुनिया’ जैसे रंग पहचानने वाले खेल में हिस्सा भी लिया ।
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दुर्ग जिले के शासकीय प्राथमिक शाला सिरसा खुर्द की शिक्षिका श्रीमती नन्दा देशमुख ने बताया कि उन्होंने वहाँ के सपेरा बस्ती में रहने वाले बच्चे जो सांप पकड़ने, प्लास्टिक बीनने और कबाड़ इकट्ठा करने का काम करते थे, उन्हें शिक्षित करने के लिए कबाड़ से शिक्षा के लिए उपयोगी उपकरण बनाकर उनमें शिक्षा का अलख जगाया है । उन्होंने बताया कि वे सोयाबीन व आटे की प्लास्टिक थैलियों से अल्फाबेट्स और व्हाईट बोर्ड बनाकर बच्चों की पढ़ाई में सहायता करती हैं ।
उन्होंने अपने इस अभियान को ‘ पर्यावरण के लिए अभिशाप, शिक्षण के लिए वरदान – पॉलीथिन’ नाम दिया है। समागम में खेदामारा पूर्व माध्यमिक शाला, दुर्ग से आयी दिव्यांग शिक्षिका सुश्री के. शारदा ने मुख्यमंत्री श्री बघेल को शिक्षकों के अकादमिक सहयोग एवँ मोटीवेशन हेतु बनाई गई हस्त पत्रिका ‘चर्चा पत्र’ भेंट किया । उन्होंने बताया कि चर्चा पत्र के प्रकाशन का उद्देश्य शिक्षकों को नवाचार की प्रेरणा के साथ ही प्रोत्साहन एवँ मार्गदर्शन है ।
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मोटर सायकिल गुरुजी के नाम से प्रसिद्ध श्री देवेन्द्र देवांगन ने बताया कि सुदूर आदिवासी अंचल के 4 ग्राम पंचायतों में स्थित घोटुल में युवा साथियों की सहायता से बच्चों तक निर्बाध शिक्षा मुहैया करायी । इसके साथ ही घोटुल में शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चों को संक्रमण से बचाये रखने के लिए भोजन एवँ नाश्ते में दोना-पत्तल का उपयोग किया जा रहा है ।
शिक्षिका सुश्री नीलू महिकवार ने बताया कि बच्चों को जब ‘पढ़ाई तुंहर दुआर’ योजना से जुड़ने में कठिनाई हो रही थी, तब उनके द्वारा न्यूज पेपर की कटिंग्स और स्टोरी टेलिंग के माध्यम से रोचकता पैदा कर सहज तरीके से बच्चों को पढ़ाया गया । स्टॉलों के निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री बघेल से छत्तीसगढ़ के बाल कलाकार सहदेव दिरदो ने भी सौजन्य मुलाकात की ।
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कौन-कौन हुए सामने?
इस अवसर पर स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम, संसदीय सचिव द्वारकाधीश यादव, महापौर ऐजाज ढेबर, छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी, स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ आलोक शुक्ला, सचिव डॉ कमलप्रीत सिंह भी उपस्थित थे।