छत्तीसगढ़: जहां एक ओर दुनिया भर के लोग ऐशो-आराम को पाने के लिए पैसे के पीछे भाग रहे हैं तो वहीं कुछ ऐसी शख्सियत भी मौजूद हैं जो मोह – माया के बंधन और धन-वैभव को त्याग साधु-संतों के सादगी भरे जीवन का अनुसरण करते हैं कुछ ऐसा ही हाल संयम जी कोटड़िया का है जिन्होंने सब कुछ त्याग कर 15 की उम्र में जैन साधु बनने का निर्णय लिया है ।
15 वर्ष की उम्र में छोड़ दिया घर परिवार:
मुंगेली के मुमुक्षु संयम जी कोटड़िया 15 वर्ष की उम्र में सांसारिक जीवन छोड़ कर संयम पथ स्वीकार करने जा रहे हैं, इसको लेकर ग्राम अर्जुनी, बलौदाबाजार में भव्य रुप से स्वागत अभिनंदन किया गया।
पिता वितेश जी कोटड़िया माता श्वेता जी कोटड़िया और एक बहन है ।9वींके बाद कक्षा तक पढ़ाई के बाद उन्होंने जैन संतों की प्रेरणा से दीक्षा लेने की घोषणा की,2 दिसंबर 2021 को मालपुरा में दीक्षा समारोह का आयोजन होना है।
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