पिकनिक स्पॉट नहीं धार्मिक स्थल, गैर-हिन्दुओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक हो , हाईकोर्ट का प्रदेश सरकार को आदेश

Madras High Court on Hindu Temples : हिंदू मंदिर सिर्फ हिंदुओं का है। हिंदुओं के मंदिर में गैर-हिंदुओं का क्या काम? कुछ इसी अर्थ वाली टिप्पणी के साथ मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि पलानी मंदिर के एंट्री गेट पर ऐसे बोर्ड लगाए जाएँ, जिसमें लिखा हो कि इस मंदिर में गैर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है। किसी को अगर मंदिर में एंट्री चाहिए तो उसे मंदिर के निर्धारित ड्रेस कोड और आस्था की जानकारी देनी होगी।

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मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि मंदिर संविधान के अनुच्छेद 15 के अंतर्गत नहीं आते। इसलिए किसी मंदिर में गैर-हिंदुओं के प्रवेश को रोकने को गलत नहीं कहा जा सकता। यही नहीं, कोर्ट ने अधिकारियों को रीति-रिवाजों और प्रथाओं के अनुसार मंदिर का रखरखाव करने का भी निर्देश दिया। (Madras High Court on Hindu Temples)

जस्टिस एस श्रीमती ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा है कि मंदिर पर्यटक स्थल का पिकनिक स्पॉट नहीं है। अगर कोई मंदिर की बिल्डिंग को देखना चाहता है तो वो मंदिर के एंट्री गेट से ही देख सकता है या फिर इन लोगों की पहुँच ध्वज स्तंभ यानी ‘कोडिमारन’ तक ही सीमित रखना चाहिए।

मद्रास हाई कोर्ट में पलानी हिल टेंपल डिवोटीज ऑर्गनाइजेशन के संयोजक डी सेंथिलकुमार ने याचिका दाखिल कर मंदिरों में गैर-हिंदुओं की एंट्री पर रोक लगाने की माँग की थी। इस याचिका में मंदिरों में गैर-हिंदुओं के कई अनुचित कामों की जानकारी दी गई थी, जिसमें बताया गया कि कुछ समय पहले तंजावुर के बृहदेश्वर मंदिर में मुस्लिमों के एक गुट ने माँस खाया था। वहीं, हंपी के मशहूर मंदिर में भी एक ग्रुप माँस करता पकड़ा गया था। यही नहीं, उत्तर प्रदेश के एक मंदिर में एक मुस्लिम युवक ने नमाज पढ़ी थी, जिसके बाद वो गिरफ्तार हुआ था। (Madras High Court on Hindu Temples)

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