Trending

GURU NANAK JAYANTI 2021: आज है गुरु नानक जयंती? जानिये सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी से जुड़ी दिलचस्प बातें

नई दिल्ली: आज सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की 552 वीं जयंती है। हिंदू धर्म में जिस तरह कार्तिक मास में आने वाली दिवाली सबसे बड़ा त्यौहार है वैसे ही सिख धर्म के लिए कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाई जाने वाली गुरु नानक जयंती सबसे बड़ा पर्व है।

इसे भी पढ़े : कार्तिक पूर्णिमा 19 नवम्बर शुक्रवार : कार्तिक पूर्णिमा में हैं दान का विशेष महत्व, पढ़ें यह पौराणिक कथा

इसे प्रकाश पर्व या फिर गुरु पर्व भी कहते हैं। इसी दिन सिख धर्म के सबसे प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। इस दिन सिख धर्म को मानने वाले भजन कीर्तन करते हैं और वाहेगुरु का जाप करते हैं।

इतिहास :

1469 ई. में सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। उनका जन्म भोई की तलवंडी (राय भोई दी तलवंडी) नाम के स्थान पर हुआ था, ये जगह अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मौजूद ननकाना साहिब में है।

इस जगह का नाम नानक देव के नाम से रखा गया। यहां देश विदेश में चर्चित गुरुद्वारा ननकाना साहिब (Gurdwara Nankana Sahib) है। शेर-ए पंजाब के नाम से पहचाने जाने वाले सिख साम्राज्य के राजा, महाराजा रणजीत सिंह ने गुरुद्वारा ननकाना साहिब बनवाया था।

कौन थे गुरु नानक जी ?

गुरु नानक जी सिख समुदाय के पहले गुरु थे और इस धर्म के संस्थापक भी. कहा जाता है कि उन्होंने ने ही सिख समाज की नींव रखी थी। उनको मानने वाले उन्हें नानक देव और बाबा नानक के साथ ही नानकशाह भी कहते हैं।

इसे भी पढ़े : कार्तिक पूर्णिमा कल: मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना है तो न करें ये गलतियां

गुरु नानक देव ने अपनी जिंदगी मानव समाज के कल्याण में लगा दी थी। गुरु नानक जी ने धार्मिक कुरोतियों के खिलाफ अपनी आवाज उठाई और दुनिया के कोने-कोने में सिख धर्म का प्रचार किया।

 गुरु नानक देव जी ने अनुयायियों को भगवान तक पहुंचने का मार्ग बताया। उन्होंने लोगों को प्रेम करना, जरूरतमंदों की सहायता करना, महिलाओं का आदर करना आदि के लिए भी प्रेरित किया और अपने अनुयायियों को ईमानदारी पूर्वक जीवन जीने की शिक्षा दी और जीवन से संबंधित कई उपदेश दिए। गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को 974 भजनों के रूप में अमर किया गया था, जिसे सिख धर्म के पवित्र पाठ ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ के नाम से जाना जाता है।

इसे भी पढ़े : BIG BREAKING : देश के नाम संबोधन में पीएम मोदी ने किया बड़ा ऐलान , कहा- तीनों कृषि कानूनों को वापस लेगी सरकार , देश के लिए लिया फैसला

केवल मात्र भारत ही नहीं इसके बाहर जाकर अफगानिस्तान, ईरान और अरब देशों में भी उन्होंने उपदेश दिए। 16 साल की आयु में ही उन्होंने सुलक्खनी नाम की युवती से शादी की और बाद में दो बेटों श्रीचंद और लखमीदास के पिता बने। 1539 ई. में करतारपुर (जो अब पाकिस्तान में है) में उनकी मृत्यु हुई।

अपनी मृत्यु से पहले ही उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के रूप में अपने शिष्य भाई लहना के नाम की घोषणा की, जो बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए। यही गुरु अंगद देव सिख धर्म के दूसरे गुरु बन थे।

Back to top button
error: Content is protected !!