ज्योतिष वरदान है असम्भव को संभव करने का ज्योतिष कर्म की प्रेरणा देता है। मुहूर्त या किसी कार्य को करने का सर्वाधिक उचित समय ज्योतिष के द्वार ही संभव है ।किस कार्य को किस समय करे सफलता के लिए ?इसका उत्तर ज्योतिष में ही है ।वैदिक काल के प्राम्भिक युग में केवल अग्नि एवं इंद्र ही देवता के रूप में पूज्य वर्णित मिलते हैं।बिना अग्नि के कोई पूजा अर्चना पूर्ण या प्रारंभ नहीं होती ।
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महा पंडित रावण ने भी लक्ष्मण जी को समय की महत्ता एवं कार्य विशेष के लिए मुहर्त का प्रत्यक्ष ज्ञान दिया था। 07 बड़े पत्ते मंगवा कर , एक सैनिक को पकडाए। एक तीर उठा कर हाथ में लिया ,एक मन्त्र पढ़ा। क्षण अंश में तीर के नुकीले भाग से सातों पत्तों के पर कर दिया। पहला पत्ता स्वर्ण, दूसरा चांदी, तीसरा ताम्बा एवं चौथा लोहे में परिवर्तित होगया, शेष तीन पत्ते पूर्ववत ही रहे। अर्थात किसी कार्य को एक विशेष समय में विधिवत किया जाए तो सफलता सुनिश्यन है।
वर्ष में एक बार अद्भुत योग बनता है ,धनतेरस से यम द्वितीया तक, इस समय वर्ष में होने वाले आर्थिक हानि,अपमृत्यु,भाई की दीर्घायु, धन लाभ आदि अनेक उपाय कर वर्ष भर की आकस्मिक समस्यायों से सुरक्षा कवच निर्माण कर सकते हें ।
केवल दीपक प्रज्वलित कर नमस्कार मन्त्र या कामना कर इष्ट देव का स्मरण एक मिनट कर ले सफलता मिलेगी।
दीपक नमस्कार मंत्र
दीप ज्योति पर ब्रह्म, दीप ज्योति जनार्दनाः ।
दीपो हरतु पापम, संध्या दीप नमोस्तुतेः ।
शुभं करोति कल्याणं, आरोग्य सुख संपदामः ।
शत्रु बुद्धि विनाशम, मम् सर्व बाधा हरणम,
च दीप ज्योति नमोस्तुतेः ।
सर्व सिद्धिम च सर्व सफलताम देहि में नमः ।
दीप प्रज्वलित कर मनोवांछित सफलता प्राप्त करे एवं अन्य कार्य हेतु शुभ समय- दिन-
(बोल्ड अति शुभ समय अदीप प्रज्वलन के लिए |}
2 नवम्बर : धनतेरस
भोज्य पदार्थ उपयोग वर्जित- गिलकी,टिंडा,करेला, भिन्डी ।
ज्ञान,विद्या,परीक्षा नए वस्त्र ,आभूषण प्रयोग,रोजगार प्राप्ति की कामना, प्रमुख वर्ग के लिए,कृषि,बागबानी कार्य से जुड़े वर्ग के लिए –
09:21-10:00 ‘23:10-00:00
ब – नए वस्त्र ,आभूषण प्रयोग,व्यापार,राजनीति,विभाग प्रमुख वर्ग के लिए,कमिशन,प्रतिनिधि कार्य से जुड़े वर्ग के लिए –
12:10-12:40; 18:55-19:35
स-शांति, निराशा से मुक्ति ,मनोबल,दाम्पत्य सुख ,निर्णय क्षमता वृद्धि-,जल एवं धान से सम्बंधित व्यापारी वर्ग के लिए –10:-26-11:00; 00:10-00:45 ;
द- यश,प्रसिद्धि,धन,भोग,एश्वर्य,नए वस्त्र वास्तु उपयोग लाभ,फेंसी,होटल, व्यापार,कला,कुकिंग-
08:25-09:00 ;22:05-22:55
3 नवम्बर : रूप या नरक चौदश
भोज्य पदार्थ उपयोग वर्जित- मटर ,सेम,गोभी,चुकंदर.लाल भाजी.चौलाई भाजी मसूर, ।
अ- ज्ञान,विद्या ,परीक्षा नए वस्त्र ,आभूषण प्रयोग,रोजगार प्राप्ति की कामना, प्रमुख वर्ग के लिए,कृषि,बागबानी कार्य से जुड़े वर्ग के लिए –
06:31-07:20 , 13:30:-13:45 ;19:30-20:46
ब- नए वस्त्र ,आभूषण प्रयोग,व्यापार,राजनीति,विभाग प्रमुख वर्ग के लिए,कमिशन,प्रतिनिधि कार्य से जुड़े वर्ग के लिए 09:25-10:00 ;15:50-16:38 ;23:10-23:56
स-शांति, निराशा से मुक्ति ,मनोबल,दाम्पत्य सुख ,निर्णय क्षमता वृद्धि-,जल एवं धान से सम्बंधित व्या पारी वर्ग के लिए 07:29-08:101; 14:05-14:40 ; 21:00-21;46
द-यश,प्रसिद्धि,धन,भोग,एश्वर्य,नए वस्त्र वास्तु उपयोग लाभ,फेंसी,होटल, व्यापार,कला,कुकिंग-
12:14-12:56 ;18:56-19:41
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4 नवम्बर : दीपावली
भोज्य पदार्थ उपयोग वर्जित-फलिवाली मटर ,सेम,बंद गोभी,चुकंदर.लाल भाजी.चौलाई भाजी ,बिन्स ।
ज्ञान,विद्या ,परीक्षा नए वस्त्र ,आभूषण प्रयोग,रोजगार प्राप्ति की कामना, प्रमुख वर्ग के लिए,कृषि,बागबानी कार्य से जुड़े वर्ग के लिए –
10:22-10:58 ;16:54-17:31; 23:15-25:07
ब- नए वस्त्र ,आभूषण प्रयोग,व्यापार,राजनीति,विभाग प्रमुख वर्ग के लिए,कमिशन,प्रतिनिधि कार्य से जुड़े वर्ग के लिए 06:37-07:13; 13:10-13:48; 19:58-20:42
स-शांति, निराशा से मुक्ति ,मनोबल,दाम्पत्य सुख ,निर्णय क्षमता वृद्धि-,जल एवं धान से सम्बंधित व्या पारी वर्ग के लिए 11;18-11:56; 17:51-18:34 ;01:18-02:00
द-यश,प्रसिद्धि,धन,भोग,एश्वर्य,नए वस्त्र वास्तु उपयोग लाभ,फेंसी,होटल, व्यापार,कला,कुकिंग—
09:26-10:00; 15:58-16:34
5 नवम्बर : गोवर्धन पूजा
- भोज्य पदार्थ उपयोग वर्जित- पेठा, कुम्हड़, कद्दू। ज्ञान, विद्या, परीक्षा नए वस्त्र, आभूषण प्रयोग,रोजगार प्राप्ति की कामना, प्रमुख वर्ग के लिए, कृषि, बागबानी कार्य से जुड़े वर्ग के लिए – 07:34-08:10 ;14:05-16:42
ब- नए वस्त्र, आभूषण प्रयोग, व्यापार, राजनीति, विभाग प्रमुख वर्ग के लिए, कमिशन, प्रतिनिधि कार्य से जुड़े वर्ग के लिए 16:54-17:30
स – शांति, निराशा से मुक्ति, मनोबल, दाम्पत्य सुख, निर्णय क्षमता वृद्धि, जल एवं धान से सम्बंधित व्यापारी वर्ग के लिए 08:30*09:00; 15:05-15:40
द – यश, प्रसिद्धि, धन, भोग, एश्वर्य, नए वस्त्र वस्तु उपयोग लाभ, फेंसी, होटल, व्यापार, कला, कुकिंग—13:10-13:48
गायत्री मंत्र अंग न्यास
ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं नमः। ऊँ देव्य ब्रह्माण्यै विùहे महाषक्त्यै च धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्। ऊँ देव्याब्रह्माण्यै हृदयाय नमः।।1।। ऊँ विùहे शिरसे स्वाहा ।।2।।
ऊँ महाशक्त्यै च शिखायै वषट्।।3।। ऊँ धीमहि कवचाय हुम्।।4।।
ऊँ तन्नो देवी नेत्रत्रयाय वौषट्।।5।। ऊँ प्रचोदयादस्त्राय फट्।
इसी प्रकार करन्यास भी करना चाहिये।
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दीपक नमस्कार मंत्र
दीप ज्योति पर ब्रह्म, दीप ज्योति जनार्दनाः।
दीपो हरतु पापम, संध्या दीप नमोस्तुतेः।
शुभं करोति कलयाणं, आरोग्य सुख संपदामः।
शत्रु बुद्धि विनाशाय, मम् सर्व बाधा हरणम, च दीप ज्योति नमोस्तुते।