नई दिल्ली : नहाय-खाय के साथ सोमवार से छठ महापर्व का विधिवत आगाज हो चुका है। नहाय खाय के दिन गंगा स्नान करने की मान्यता है। इस दिन घरों की साफ-सफाई की जाती है। चार दिवसीय छठ पर्व का व्रत सभी व्रतों में सबसे कठिन होता है। इसलिए इसे महापर्व कहते हैं। मंगलवार यानी 9 नवंबर को खरना किया जाएगा और 10 नवंबर षष्ठी तिथि को मुख्य छठ पूजन किया जाएगा और अगले दिन 11 नवंबर सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ पर्व के व्रत का पारणा किया जाएगा।
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इस व्रत में मुख्य रूप से सूर्य की उपासना की जाती है और उगते वह अस्त होते सूर्य को जल दिया जाता है। इसी के साथ छठ के महापर्व में छठी मैया के पूजन का विधान है।
क्या हैं पूजा के नियम
अधिकतर व्रत का पालन परिवार की महिलाएं करती है। हालांकि, पुरुष भी इस व्रत का पालन कर सकते हैं। परिवार की खुशहाली और बच्चों की सुख समृद्धि के लिए माताएं उपवास रखती हैं और छठ का महापर्व मनाती हैं। इसके अलावा जो भी परिवार एक बार छठ पूजा करना शुरू कर देता है तो उन्हें हर साल बिना रुके यह व्रत करना पड़ता है।
व्रत का महत्व
छठ पूजा बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बहुत महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। इस त्योहार के दौरान लोग अपने सबसे अच्छे कपड़े पहनते हैं और सूर्य देव की पूजा करते हैं। इस त्योहार के दौरान पूरा परिवार एक साथ इकट्ठा होता है और एक साथ ही सूर्य देव की प्रार्थना करता है। इसलिए धार्मिक और सामाजिक दोनों दृष्टि से इस त्योहार का हमारे समाज में महत्वपूर्ण योगदान है।