हाईकोर्ट- उकसावे में की गई गैर इरादतन हत्या को नहीं मान सकते मर्डर

रांची। झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन व जस्टिस सुभाष चंद की खंडपीठ ने एक फैसले में कहा गया है कि अचानक झगड़े के बाद आवेश में आकर बिना किसी पूर्व योजना के हुई हत्या को हत्या की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।इस आदेश के साथ ही जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस सुभाष चंद की अदालत ने सजायाफ्ता को रिहा करने का आदेश दिया। इस संबंध में श्रीराम शर्मा ने हाईकोर्ट में अपील याचिका दाखिल की थी। याचिका के माध्यम से उन्होंने देवघर सिविल कोर्ट के चार जनवरी 2017 के आदेश को चुनौती दी थी।इसमें उन्हें अपने चाचा की हत्या का दोषी मानते हुए दस साल कारावास की सजा के साथ दस हजार का जुर्माना भी लगाया गया था। 

सुनवाई के बाद खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि यदि गैर इरादतन हत्या अचानक झगड़े के बाद जोश में बिना किसी पूर्व योजना के की गई हो और अपराधी कोई अनुचित लाभ न उठाए या क्रूर तरीके से काम न करे तो उक्त मृत्यु आईपीसी के सेक्शन 300 के अंतर्गत नहीं आएगी।अपीलकर्ता का मृतक की हत्या करने का कोई इरादा नहीं था। अचानक झगड़ा हुआ और आवेश में आकर और बिना किसी पूर्व विचार के मृतक के सिर पर हथौड़े से वार किया गया।चश्मदीद गवाह के साक्ष्य और मेडिकल साक्ष्य से भी पता चलता है कि मृतक के सिर पर केवल एक वार किया गया था। इससे यह भी पता चलता है कि हत्या करने की कोई पूर्व योजना या इरादा नहीं था।हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अपीलकर्ता पहले से ही दस साल से अधिक समय से हिरासत में था और सजा काट चुका था, इसलिए उसे हिरासत से तुरंत रिहा किया जाए।

Back to top button
error: Content is protected !!