बिलकिस बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, 11 दोषियों की रिहाई की रद्द, फिर से जाना होगा जेल

Bilkis Bano Case: गुजरात के बिलकिस बानो केस में दोषियों की रिहाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की रिहाई का फैसला रद्द कर दिया है. कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य माना है. SC ने कहा, महिला सम्मान की हकदार है. सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि दोनों राज्यों (महाराष्ट्र-गुजरात) के लोअर कोर्ट और हाई कोर्ट फैसले ले चुके हैं. ऐसे में कोई आवश्यकता नहीं लगती है कि इसमें किसी तरह का दखल दिया जाए.

अगस्त 2022 में गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस (Bilkis Bano Case) में उम्रकैद की सजा पाए सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था. दोषियों की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद बिलकिस के दोषियों को जेल जाना होगा.सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इस कोर्ट के मई 2022 के आदेश पर हमारे निष्कर्ष हैं.

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प्रतिवादी संख्या 3 ने यह नहीं बताया कि गुजरात हाई कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 437 के तहत उसकी याचिका खारिज कर दी थी और प्रतिवादी संख्या 3 ने यह नहीं बताया था कि समयपूर्व रिहाई का आवेदन महाराष्ट्र में दायर किया गया था, ना कि गुजरात में. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, महत्वपूर्ण फैक्ट को छिपाकर और भ्रामक तथ्य बनाकर दोषी की ओर से गुजरात राज्य को माफी पर विचार करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुयन की बेंच ने फैसला सुनाया है. बेंच ने पिछले साल 12 अक्टूबर को मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था. मामले पर अदालत में लगातार 11 दिन तक सुनवाई हुई थी. सुनवाई के दौरान केंद्र और गुजरात सरकार ने दोषियों की सजा माफ करने से जुड़े ओरिजिनल रिकॉर्ड पेश किए थे. गुजरात सरकार ने दोषियों की सजा माफ करने के फैसले को सही ठहराया था. समय से पहले दोषियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल भी उठाए थे. हालांकि, कोर्ट ने कहा था कि वो सजा माफी के खिलाफ नहीं है, बल्कि ये स्पष्ट किया जाना चाहिए कि दोषी कैसे माफी के योग्य बने.इससे पहले 30 सितंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया था कि क्या दोषियों के पास माफी मांगने का मौलिक अधिकार है. यह अधिकार चुनिंदा रूप से नहीं दिया जाना चाहिए.

इससे पहले एक दोषी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा था कि सजा माफी के आदेश ने दोषी को समाज में फिर से बसने की आशा की एक नई किरण दी है और उसे उन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं का पछतावा है, जिसके कारण उसे पीड़ा हुई है. लूथरा ने दोषियों को मिली जल्द रिहाई का बचाव किया और कहा, इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई, 2022 के आदेश के जरिए सुलझा लिया था. (Bilkis Bano Case)

क्या है पूरा मामला?

3 मार्च 2002 को गुजरात दंगों के दौरान दाहोद में बिलकिस बानो के परिवार पर हमला हुआ था. इस दौरान उनका गैंगरेप किया गया. उनके परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी गई. बिलकिस तब 5 महीने की गर्भवती थीं और गोद में 3 साल की एक बेटी भी थी. इस दौरान दंगाईयों ने उनकी 3 साल की बेटी को पटक-पटककर मार डाला.

साल 2004 में गैंगरेप के आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. इसी साल केस को अहमदाबाद से बॉम्बे ट्रांसफर कर दिया गया. बिलकिस बानो ने सबूतों के साथ संभावित छेड़छाड़ और गवाहों के लिए खतरे का मुद्दा उठाया था.

जनवरी 2008 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. 2017 में इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने 11 दोषियों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी. सभी को पहले मुंबई की आर्थर रोड जेल और इसके बाद नासिक जेल में रखा गया था. करीब 9 साल बाद सभी को गोधरा की सबजेल में भेज दिया गया था.

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