बुधवार 20 अक्टूबर 2021 शरद पूर्णिमा कथा : शरद पूर्णिंमा के दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास किया था। देवी लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इस दिन देवी लक्ष्मी अपनी सवारी उल्लू पर बैठकर भगवान विष्णु के साथ पृथ्वी का भ्रमण करने आती हैं। रात को चंद्रमा को अर्ध्य दें।
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एक पौराणिक कथा
एक साहुकार के दो पुत्रियाँ थी। दोनो पुत्रियाँ पूर्णिमा का व्रत रखती थी। परन्तु बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधुरा व्रत करती थी। परिणाम यह हुआ कि छोटी पुत्री की सन्तान पैदा होती ही मर जाती थी। उसने पंडितो से इसका कारण पूछा तो उन्होने बताया की तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती थी जिसके कारण तुम्हारी सन्तान पैदा होते ही मर जाती है। पूर्णिमा का व्रत पूरा विधिविधान से करने पर तुम्हारी सन्तान जीवित रह सकती है।
उसने पंडितों की सलाह पर पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया। उसके लड़का हुआ परन्तु शीघ्र ही मर गया। उसने लड़के को पीढ़े पर लिटाकर ऊपर से कपड़ा ढक दिया। बड़ी बहन को बुलाकर लाई और बैठने के लिए वही पीढा दे दिया। बडी बहन जब पीढे पर बैठने लगी जो उसका घाघरा बच्चे का छू गया। बच्चा घाघरा छुते ही रोने लगा। बडी बहन बोली- ”तु मुझे कलंक लगाना चाहती थी। मेरे बैठने से यह मर जाता।“ तब छोटी बहन बोली, ”यह तो पहले से मरा हुआ था। तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया है। तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है।“ उसके बाद नगर में उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढिंढोरा पिटवा दिया।
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20 अक्टूबर, बुधवार को शरद पूर्णिमा (व्रत हेतु)।
आश्विन पूर्णिमा को ‘शरद पूर्णिमा’ बोलते हैं । इस दिन रास-उत्सव और कोजागर व्रत किया जाता है। गोपियों को शरद पूर्णिमा की रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण ने बंसी बजाकर अपने पास बुलाया और ईश्वरीय अमृत का पान कराया था। इस रात को चन्द्रमा अपनी पूर्ण 16 कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता, पोषक शक्ति एवं शांतिरूपी अमृतवर्षा करता है। सूर्य 12 कला का होता है। श्री राम 12 कला एवम श्री कृष्ण 16 कला युक्त थे।
विशेष : अश्विनी कुमार देवताओं के वैद्य हैं। शिथिल इन्द्रियाँ को पुष्ट करने के लिए चन्द्रमा की चाँदनी में खीर रखना और भगवान को भोग लगाकर अश्विनी कुमारों से प्रार्थना कर ‘हमारी इन्द्रियों का बल-ओज बढ़ायें।’ फिर वह खीर खाना।
नेत्र ज्योति बढ़ाये : रात सुई में धागा पिरोने का प्रयास करने से नेत्रज्योति बढ़ती है।
अस्थमा आरोग्य : इस वर्ष रात्रि 04.00- से प्रात पूर्व 05:58 तक। शरद पूनम दमे की बीमारी वालों के लिए वरदान है। रात्रि जागरण चंद्र रोशनी का लाभ अस्थमा ठीक करता है।
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चंद्र किरणें शरद पूनम श्रेष्ठ प्रभावी
चन्द्रमा की चाँदनी गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है। शरद पूनम की चाँदनी का अपना महत्त्व है लेकिन बारहों महीने चन्द्रमा की चाँदनी गर्भ के शिशु को मानसिक विकास, स्वास्थ्य और औषधियों को पुष्ट करती है। चन्द्रमा के विशेष प्रभाव से समुद्र में ज्वार-भाटा आता है। हमारे शरीर में 3/4जलीय अंश है, सप्तधातुएँ हैं, सप्त रंग हैं, उन पर भी चन्द्रमा का प्रभाव पड़ता है। मन प्रसन्न और बुद्धि में बुद्धि का प्रकाश आता है।
सीता जी को इंद्र खीर पहुंचाते थे?
शरद पूर्णिमा में बनाया हुआ खीर अमृतमय होता हैं। अमृतमय प्रसाद खीर को रसराज कहते हैं। सीताजी को अशोक वाटिका में रखा गया था। रावण के घर का क्या खायेंगी सीताजी ! तो इन्द्रदेव उन्हें खीर भेजते थे।
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खीर किस धातु के बर्तन मे बनाये? चांदी स्वर्ण कैसे मिलाये?
खीर बनाते समय- ओम चन्द्र मसे नम:। 11 बार कहे। अंत मे एक बार “सर्व सुख सौभाग्यम अरोग्यम देहि मम परिवारस्य नम:।” घर में चाँदी का गिलास आदि जो बर्तन हो, असली चाँदी के बर्तन अथवा असली सोना पानी से धो करके खीर में डाल दो तो उसमें रजतक्षार या सुवर्णक्षार आयेंगे। लोहे की कड़ाही अथवा पतीली में खीर बनाओ तो लौह तत्त्व भी उसमें आ जायेगा। इलायची, खजूर या छुहारा बादाम, काजू, पिस्ता, चारोली चिरोंजी उपलब्ध होने पर सुविधानुसार मिला सकते। यदि न हो तो कोई आवश्यक नही हैं। रात्रि 10:23 से 01 बजे तक शुभ समय खीर रखने का : खीर दूध, चावल, मिश्री, चाँदी, चन्द्रमा की चाँदनी – इन पंचश्वेतों से युक्त होती है।
आलेख : पं. विजेंद्र कुमार तिवारी (ज्योतिषाचार्य)